आज हमने इस्तीफा दे दिया। जो सरकार थी, उसे समाप्त करने के लिए गवर्नर को लिखकर दे दिया। इधर ठीक नहीं चल रहा था, पुराने एलायंस के साथ फैसला करेंगे।”- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसी के आसपास अपनी बात कही। उससे ज्यादा नहीं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुराने के साथ इस्तीफे और नए साथी के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस दफा केवल इस्तीफा सौंपकर आगे के फैसले की बात क्यों कहकर निकल गए? भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर में सुबह सात बजे से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम से गहमागहमी और जदयू-राजद दफ्तर में अबतक दिख रहे सन्नाटे के अंदर से इसका जवाब मिल रहा है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने शर्त रखी थी कि पहले आप खुद जाकर इस्तीफा देकर हमारा विश्वास हासिल करें। एक और बात यह आ रही कि भाजपा राष्ट्रीय जनता दल के अगले कदम का इंतजार करने के बाद एकजुटता दिखाने के लिए जदयू के साथ राजभवन जाएगी।
मजबूर नीतीश नहीं दे सके सवाल का जवाब
आम आदमी के जेहन में उठ रहे सवाल मीडिया मुख्यमंत्री के सामने लेकर पहुंचा था कि वह बार-बार पाला क्यों बदलते हैं और इस बार क्यों बदला है? सीएम नीतीश पिछली बार की तरह भ्रष्टाचार जैसा कुछ बड़ा आरोप नहीं लगा सके। उन्होंने कहा कि सब ठीक नहीं चल रहा था। उन्होंने कहा कि सबकुछ ठीक नहीं चलने के कारण ही वह चुप रह रहे थे। अगली सरकार के बारे में भी उन्होंने इशारों में ही कहा कि “जो पहले एलायंस था, उनके साथ ही बात कर…देखिए, पता चल ही जाएगा।” दरअसल, इस बारे में भाजपा के दिग्गजों से जानकारी मिल रही है कि पार्टी ने इस बार साथ नहीं जाने का मन बनाया था। पार्टी चाहती थी कि नीतीश कुमार खुद इस्तीफा देने जाएं और फिर राजद का रवैया देखने के बाद आगे का फैसला लिया जाए। यही हुआ भी। नीतीश ने इस्तीफा दे दिया और आगे की बात इशारों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ बैठक के नाम पर छोड़ दिया। जब सीएम ने खलकर इस्तीफा बोल दिया, तब भाजपा ने अपनी तैयारी खोली। बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी के नेतृत्व में भाजपा नेता सीएम आवास के लिए रवाना हुए।