प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को दिल्ली के भारत मंडपम में आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे। मोदी ने आध्यात्मिक गुरु के सम्मान में एक स्मारक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया। प्रगति मैदान के भारत मंडपम में कार्यक्रम हुआ था।
मोदी ने कहा कि सैकड़ों साल पुराने भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ। अब युवा स्पिरिचुएलिटी और स्टार्टअप को एकसाथ देखने लगे हैं।
मोदी के भाषण की चार खास बातें
1. राम मंदिर का सपना पूरा हुआ
मैं श्रील प्रभुपाद जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। मैं उनके अनुयायियों को उनकी 150वीं जयंती की शुभकामनाएं देता हूं। आज मुझे उनकी स्मृति में स्मारिका और सिक्का जारी करने का सौभाग्य मिला। ये जयंती ऐसे समय में मना रहे हैं, जब कुछ दिन पहले सैकड़ों साल पुराना भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ। आज आपके चेहरे पर जो उल्लास दिख रहा है, इसमें रामलला के विराजमान होने की खुशी भी शामिल है। इतना बड़ा महायज्ञ संतों के आशीर्वाद से ही पूरा हुआ।
2. चैतन्य ने बताया- भक्ति उल्लास से भी हो सकती है
हम लोग जीवन में प्रेम, कृष्ण तत्व को कितनी सहजता से समझते हैं। इसके पीछे चैतन्य महाप्रभु की बहुत बड़ी भूमिका है। वे कृष्ण भक्ति के प्रतिमान थे। उन्होंने कृष्ण भक्ति को जनसामान्य के लिए सुलभ बना दिया। उन्होंने बताया कि भक्ति संन्यास से ही नहीं, उल्लास से भी हो सकती है।
मैं इन परंपराओं में पला-बढ़ा इंसान हूं। मैं जिस माहौल में रहता था, भजन-कीर्तन चलते थे, मैं किनारे बैठा रहता था, मन प्रसन्न होता था, लेकिन मैं जुड़ता नहीं था। एक बार सोचा कि ये दूरी किस चीज है कि मैं उसे जीता तो हूं, लेकिन जुड़ता नहीं हूं। मैंने चैतन्य की परंपरा के सामर्थ्य का साक्षात्कार किया है। अभी आप लोग अभी कुछ कर रहे थे तो मैं ताली बजा रहा था। तब एक प्रधानमंत्री ताली नहीं बजा रहा था, प्रभु भक्त ताली बजा रहा था।