Headlines

हरदा धमाका:रहवासी इलाक़ों में चलती अवैध फैक्ट्रियों के लिए ज़िम्मेदार कौन?

हरदा। मध्यप्रदेश का कृषि प्रधान ज़िला। उर्वरा भूमि, स्याह काली मिट्टी और खेती के लिए अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र। यहाँ पटाखों की अवैध फैक्ट्रियों का क्या काम? किसके संरक्षण में चलती जा रही हैं ये मौत की फैक्ट्रियां? कांग्रेस कह रही है कि जिस फ़ैक्ट्री में आग लगने से ग्यारह लोगों की मौत हो गई और जाने कितने अब तक लापता हैं, उस फ़ैक्ट्री का मालिक भाजपा का नेता है। जबकि भाजपा का कहना है कि फ़ैक्ट्री के मालिक कांग्रेस के पदाधिकारी हैं।

दोनों ही पार्टियाँ एक- दूसरे पर आरोप लगाने में जुटी हुई हैं। वे कह रहे हैं इन्होंने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था। ये कह रहे हैं ये उनके आदमी हैं। जो इस धमाके में मर गए, घायल हो गए, वे कौन थे, किसके आदमी थे, यह कोई समझना नहीं चाहता।

हरदा में 10 मिनट में दो धमाके हुए थे। दूसरे धमाके में ज्यादा लोगों की मौत हुई।

कुछ घायल कह रहे हैं कि अपनी माँओं के साथ बच्चे भी फ़ैक्ट्री में आते थे। कुछ बच्चे काम में सहयोग भी करते थे। इन बच्चों में से अधिकांश का अब तक अता- पता नहीं है। एक घायल ने कहा-आग लगने वाले दिन कोई बीस- पच्चीस बच्चे फ़ैक्ट्री के भीतर थे। कोई अफ़सर, कोई प्रशासन, कोई सरकार इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

2015 में भी इस फ़ैक्ट्री में धमाका हुआ था तब दो लोगों की मौत हुई थी। फ़ैक्ट्री मालिकों को सजा भी हुई थी, लेकिन इनके जेल से बाहर आते ही फ़ैक्ट्री फिर शुरू हो गई। प्रशासन खुली आँखों से यह सब देखता रहा। दरअसल, सत्ता में पैठ रखने वाले लोग यह सब करते रहते हैं और हादसों में मारे जाते हैं निर्दोष मज़दूर।

मुख्यमंत्री मोहन यादव कह रहे हैं हरदा का यह धमाका हमारी परीक्षा थी। अगर सरकार की परीक्षा इस तरह की है तो माफ़ कीजिए, इसका परिणाम बहुत बुरा ही हो सकता है। सरकार कह रही है ऐसी घटनाओं पर किसी का बस नहीं चलता। सवाल यह है कि जब आप रहवासी इलाक़ों में इस तरह की ख़तरनाक फैक्ट्रियां चलने देते हैं तो विस्फोट तो होंगे ही। आख़िर प्रशासन और सरकार का बस क्यों नहीं चलता? क्या अवैध फैक्ट्रियां चलाने के लिए सरकार या सरकारी महकमे का कोई व्यक्ति दोषी नहीं होता? कोई ज़िम्मेदार नहीं होता। आख़िर इसके लिए जवाबदेही कौन तय करेगा?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुधवार को घटनास्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों से हादसे के संबंध में जानकारी ली।

यह कोई प्राकृतिक आपदा तो है नहीं, जिस पर किसी का बस नहीं चले। यह तो मानवीय गलती का उदाहरण है। इसे हर हाल में रोका जा सकता था। फिर फ़ैक्ट्री मालिक चाहे भाजपा से जुड़ा हुआ हो या कांग्रेस से, लोगों की जान लेने की इजाज़त भला किसी को कैसे दी जा सकती है?

हरदा जैसे शांत शहर और इलाक़े को इस तरह मौत के मुँह में धकेलना क़तई ठीक नहीं है। सरकार को हरदा ही नहीं, पूरे प्रदेश में चल रही इस तरह की फैक्ट्रियों की तुरंत पहचान करनी चाहिए और उन्हें हर हाल में तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए, वर्ना इस तरह के हादसे होते रहेंगे और फिर वाक़ई किसी का बस नहीं चलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024