अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला शृंगार, अर्चना, भोग, पहनावे आदि में बदलाव लाने की तैयारी की जा रही है। भगवान राम को कंदमूल, बेर सहित कई तरह के आदिवासी भोजन प्रिय थे। इसलिए, उनके 56 भोग में जंगल और आदिवासियों की भोजन सामग्री शामिल की जाएगी।
पुजारियों के लिए भी नया ड्रेस कोड होगा। वे पीली चौबंदी, सफेद धोती और केसरिया पटका पहनेंगे। धर्मशास्त्रों के अनुसार, पुजारियों को ऐसे वस्त्र नहीं पहनने चाहिए, जिनमें पांव या सिर डालना होता है। अभी पुजारी केसरिया कुर्ता और धोती पहनते हैं।
नई पूजा-अर्चना, शृंगार में उत्तर और दक्षिण भारत के मंदिरों की परंपराओं का समन्वय दिखाई देगा। पूजा पद्धति के लिए खास पुस्तक भी तैयार कराई गई है। इसमें उत्तर और दक्षिण भारतीय परंपराओं के अनुसार श्रीरामलला की अर्चना के लिए स्तुतियों को लिखा गया है।
नीतिगत रूप से अर्चनाओं का क्रम तय हो गया है। कुछ प्रशिक्षुओं को मंदिर में पुजारियों के साथ लगाया गया है। गर्भगृह में पूजा की जिम्मेदारी देने के पहले उन्हें कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। श्रीरामलला की अष्टयाम सेवा के लिए पुजारियों का समूह बनाकर अलग-अलग समय के पूजन की जिम्मेदारी दी जाएगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इन बदलावों को चैत्र नवरात्र से लाएगा।
रोज लाखों श्रद्धालु दर्शन कर रहे, योग्य पुजारी की भर्ती पर भी विचार
प्रतिष्ठा के बाद से हर दिन लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आ रहे हैं। श्रद्धालुओं की भारी संख्या, कपाट खुलने और बंद होने का समय देखते हुए ट्रस्ट और योग्य पुजारियों की भर्ती करने पर भी विचार कर रहा है। इस बीच प्रशिक्षण पा रहे 21 नए पुजारियों ने भी परीक्षा पास कर ली है।
ट्रस्ट पुजारियों को हर महीने 32 हजार रुपए वेतन देता है। अभी मंदिर में एक मुख्य पुजारी के साथ पांच पुजारी हैं। मंदिर के परकोटे में छह और परिसर में सात नए मंदिर तैयार हो रहे हैं। इनके लिए भी पुजारियों की जरूरत होगी।