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कर्पूरी ठाकुर और आडवाणी के बाद तीन और भारत रत्न

इस बार केंद्र सरकार ने पाँच विभूतियों को देश का सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा की है। महान नेता कर्पूरी ठाकुर और महारथी लाल कृष्ण आडवाणी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंह राव और हरित क्रांति के प्रणेता कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है।

चौधरी चरण सिंह देश के पाँचवें प्रधानमंत्री थे। वे अपने निर्णयों और साफ-सपाट बोलने के लिए जाने जाते थे। आज कई प्रदेशों में अलग- अलग नामों से जो जनता दल नज़र आते हैं उस जनता दल की स्थापना सबसे पहले चौधरी चरण सिंह ने ही की थी। वे देश के ऐसे प्रधानमंत्री हुए जो इस पद पर रहते कभी संसद नहीं गए।

चौधरी चरण सिंह देश के पाँचवें प्रधानमंत्री थे।

पीवी नरसिंह राव बड़े चर्चित प्रधानमंत्री रहे। आर्थिक उदारवाद के वे ही वाहक थे। एक जमाना था जब लोग बैंकों से लोन लेना तो दूर, उनके पास से गुजरने से भी डरते थे। लोगों के मन से यह डर निकालने का श्रेय नरसिंह राव को ही है। वे ही थे जिन्होंने महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाकर अपनी सरकार में शामिल किया।

भारतीय राजनीति में लम्बे समय बाद अपनी तरह का यह अनूठा प्रयोग था। इससे पहले पंडित नेहरू ने 1947 में अपनी अंतरिम सरकार में कई विषय विशेषज्ञों को शामिल किया था। नरसिंह राव ने अर्थ व्यवस्था में सुधार के लिए डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया और मनमोहन ने यह काम बखूबी करके दिखाया।

पीवी नरसिंह राव ने अर्थ व्यवस्था में सुधार के लिए डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया।

कालांतर में मनमोहन दस साल तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे। कारसेवकों के हुजूम ने बाबरी ढाँचे का ध्वंस पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही किया था।

एक और भारत रत्न एमएस स्वामीनाथन महान कृषि वैज्ञानिक थे। कृषि क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता डॉ. स्वामीनाथन की ही देन है। गेहूं और चावल की ज़्यादा से ज़्यादा पैदावार के लिए नए बीज बनाने की सोच उनकी अपनी थी। इसी वजह से भारत आज खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर और सुरक्षित है।

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