भारतीय रक्षा क्षेत्र अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ऐलान किया है कि भारत अगले 10 दिनों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए ग्राउंड सिस्टम का निर्यात शुरू करेगा। इसकी जानकारी डीआरडीओ प्रमुख समीर वी. कामत ने दी। डॉ. कामत ने बताया कि फिलीपींस को कई हथियार एक्सपोर्ट किए गए हैं। अब कुछ अन्य देशों से भी इसी तरह की डिमांड सामने आई है।
डीआरडीओ के चेयरमैन ने इसकी पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया, डीआरडीओ द्वारा विकसित और भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स सहित निजी क्षेत्र के उद्योग द्वारा उत्पादित 307 एटीएजीएस बंदूकों के ऑर्डर इस वित्तीय वर्ष तक मिलने की उम्मीद है। बता दें, जनवरी 2022 में भारत और फिलीपींस के बीच ब्रह्मोस मिसाइलों को लेकर 375 मिलियन डॉलर की डील हुई थी, इसके तहत फिलीपींस को मिसाइलों की डिलीवरी होनी है। यह 290 किमी रेंच वाली इन मिसाइलों को एक्सपोर्ट करने का अपनी तरह का पहला समझौता था। इस डील के तहत 2 सालों में एंटी शिप वर्जन की 3 मिसाइल बैटरियों का भी एक्सपोर्ट किया जाना था।
इतना ही नहीं ब्रह्मोस मिसाइल के बाद भारत के कई हथियार विदेशों की सेनाओं में होंगे। डॉ. कामत ने बताया आकाश मिसाइल, अर्जुन टैंक, लाइट एयरक्राफ्ट जैसे कई रक्षा उपकरणों को भी निर्यात किए जाने की तैयारी है, इनके लिए भी कई देशों की ओर से रुचि दिखाई गई है। बता दें, बीते साल खबर आई थी फिलीपींस के बाद वियतनाम भी ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर 625 मिलियन डॉलर का सौदा भारत के साथ करने के लिए तैयार है।
उन्होंने बताया, लगभग 4.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य के डीआरडीओ द्वारा विकसित उत्पादों को या तो सेना में शामिल कर लिया गया है या उन्हें डीएसी (रक्षा अधिग्रहण) से AoN (आवश्यकता की स्वीकृति) प्राप्त हो गई है। डॉ. कामत ने कहा, विकास अब पहले की तुलना में बहुत तेजी से हो रहे हैं। मेरा अनुमान है कि 60% या 70% से अधिक उत्पाद पिछले 5-7 वर्षों में शामिल किए गए हैं। यह दर और भी बढ़ने वाली है।