एअर इंडिया पर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने 80 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन्स (FDTL) और फटीग मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) से संबंधित नियमों के उल्लंघन के लिए लगाया गया
DGCA ने हाई लेवल की सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए, FDTL और FMS नियमों के अनुपालन को लेकर जनवरी महीने में एअर इंडिया का स्पॉट ऑडिट किया था। ऑडिट के दौरान DGCA ने पाया कि कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उड़ानें संचालित कीं।
60 साल से अधिक उम्र के दोनों फ्लाइट क्रू के साथ उड़ानें संचालित कीं
डीजीसीए ने कहा कि रिपोर्टों और साक्ष्यों के विश्लेषण से पता चला कि एअर इंडिया ने कुछ मामलों में 60 साल से अधिक उम्र के दोनों फ्लाइट क्रू के साथ उड़ानें संचालित कीं, जो एयरक्राफ्ट रूल्स, 1937 के नियम 28 A के उप नियम (2) का उल्लंघन है।
क्रू को पर्याप्त आराम नहीं दिया, ट्रेनिंग रिकॉर्ड भी गलत मार्क किए
पर्याप्त साप्ताहिक आराम, अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज (यूएलआर) उड़ानों से पहले और बाद में पर्याप्त आराम और फ्लाइट क्रू को लेओवर पर पर्याप्त आराम प्रदान करने में भी कमी पाई गई। इसके अलावा, गलत तरीके से मार्क किए गए ट्रेनिंग रिकॉर्ड आदि के मामले भी देखे गए।
कारण बताओ नोटिस के जवाब के बाद जुर्माना लगाया गया
डीजीसीए ने कहा कि एअर इंडिया को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 1 मार्च, 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। विमानन नियामक ने पाया कि उसकी प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं है।
जनवरी में भी 1.10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था
इससे पहले जनवरी में भी DGCA ने सुरक्षा उल्लंघन के लिए एयर इंडिया पर 1.10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। ’12 मिनट केमिकल पैसेंजर ऑक्सीजन सिस्टम’ में कमी मिली थी, जिसके बाद ये जुर्माना लगा था।
एयरलाइन के एक कर्मचारी की शिकायत पर कार्रवाई हुई थी
DGCA को अक्टूबर में एयरलाइन के एक कर्मचारी की शिकायत मिली थी। इसमें बताया गया था कि एअर इंडिया मुंबई/बेंगलुरु-सैन फ्रांसिस्को के बीच बोइंग B777 विमान के जरिए जो फ्लाइट ऑपरेट करती है, उसमें सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। शिकायत में यह भी बताया गया था कि नवंबर 2022 के बाद से ऐसा हो रहा है।
शिकायत के आधार पर एविएशन रेगुलेटर ने एअर इंडिया के विमानों की ’12 मिनट केमिकल पैसेंजर ऑक्सीजन सिस्टम’ की जांच की। ऑक्सीजन सिस्टम विमान में लगभग 12-15 मिनट तक ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। इमरजेंसी आने पर इतने समय में पायलट विमान को कम ऊंचाई पर ला सकते हैं, जहां एक्स्ट्रा ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती।