इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करके एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा। जयराम ने कहा- मोदी वहीं प्रधानमंत्री हैं जो काला धन वापस लाने की गारंटी देते थे।
आज इन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड से भ्रष्टाचार को लीगल बना दिया और चंदा दो-धंधा लो नीति अपनाई। कांग्रेस नेता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की भी मांग की।
जयराम रमेश ने आगे कहा- मोदी सरकार की चंदादाताओं का सम्मान और अन्नदाताओं का अपमान करने की नीति है। पीएम मोदी MSP को कानूनी दर्जा नहीं देना चाहते, लेकिन उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए रिश्वत को कानूनी दर्जा दे दिया।
जयराम की प्रेस कांफ्रेंस की 3 बड़ी बातें…
1. जयराम बोले- PM मोदी के घोटाले के 4 रास्ते थे
जयराम ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन्होंने निजी कंपनियों का इस्तेमाल किया। इस घोटाले के 4 रास्ते थे। पहला था, ‘चंदा दो धंधा लो’ यह प्रीपेड है। दूसरा तरीका है ‘ठेका लो घुस दो’, जो कि पोस्टपेड है, पहले आपको कॉन्ट्रैक्ट मिलता है और फिर आप रिश्वत देते हैं।
तीसरा तरीका है छापेमारी, पहले कंपनियों के पास ED-CBI भेजी जाती है और उनसे बचने के लिए ये कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदती हैं और चौथा तरीका है शेल कंपनियों का उपयोग करना।
2. हमने 15 सेकेंड में जानकारी जुटा ली, SBI समय मांग रहा था
जयराम ने मोदी सरकार के साथ-साथ SBI पर भी सवाल उठाए। जयराम बोले- हमारे युवा साथियों ने सिर्फ 5 लाइन का एक कम्यूटर कोड लिखा है। जिससे सिर्फ 15 सेकण्ड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगी गई इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी हमारे सामने आ गई।
इसी जानकारी को देने के लिए SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था, इससे साफ है कि मोदी सरकार ये जानकारी बाहर नहीं लाना चाहती थी।
3. 38 कॉर्पोरेट कंपनियों ने प्रोजेक्ट मिलने के बाद बीजेपी को चंदा दिया
रमेश ने आरोप लगाया कि कोड का उपयोग करते हुए रिसर्च से पता चला है कि 38 कॉर्पोरेट कंपनियों को केंद्र या भाजपा शासित राज्य सरकारों की तरफ से कई प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली। बाद में उन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।
रमेश ने दावा किया कि इन कंपनियों को भाजपा को चुनावी बांड के 2,004 करोड़ रुपये के चंदे के बदले प्रोजेक्ट में कुल 3.8 लाख करोड़ रुपए मिले हैं।
रमेश ने आगे कहा, जब INDIA गठबंधन सत्ता में आएगा तो वह चुनावी बांड घोटाले की SIT से जांच कराएगा। इसके अलावा अडानी मामले पर एक जेपीसी बनाई जाएगी और एक SIT पीएम-केयर्स फंड की भी जांच करेगी।
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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 21 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा पूरा डेटा इलेक्शन कमिशन को सौंपा, जिसके बाद आयोग ने इसे पब्लिक किया। इसमें बैंक ने बॉन्ड का अल्फा न्यूमेरिक नंबर भी बताए गए। इससे पता चला है कि किस कंपनी ने किस सियासी दल को कितना चुनावी चंदा दिया। पढ़ें पूरी खबर…