केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार (22 फरवरी) को कहा कि कोई भी पार्टी बिना पैसे के नहीं चलती। कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को फंडिंग करती हैं। हमारे देश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए हम 2017 में अच्छे इरादे के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड योजना लाए थे।
बीते कुछ दिनों से देश में इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने SBI से इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा मांगा था। 16 मार्च को चुनाव आयोग ने नया डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था।
उद्देश्य था कि पार्टियों को सीधे धन मिले- गडकरी
गडकरी ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का जिक्र करते हुए कहा कि जब वे केंद्र में वित्त मंत्री थे, मैं उस चर्चा (इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में) का हिस्सा था। संसाधनों के बिना किसी भी पार्टी का काम चलना मुश्किल है। इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे धन मिले, लेकिन (दानदाताओं के) नाम का खुलासा नहीं किया जाएगा। इसकी वजह थी कि अगर सत्ता में पार्टी बदलती है तो समस्याएं पैदा होतीं।
गडकरी ने कहा कि हम पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बॉन्ड की यह व्यवस्था लाए। हमारा इरादा अच्छा था। अगर सुप्रीम कोर्ट को इसमें कोई कमी नजर आती है और हमें इसमें सुधार करने के लिए कहा जाता है तो सभी दल साथ बैठकर सर्वसम्मति से इस पर विचार करेंगे।
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चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से 16 मार्च को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड का नया डेटा रविवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। नए डेटा में फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के बॉन्ड्स की जानकारी शामिल है। आयोग ने 14 मार्च को 763 पेज की दो लिस्ट में अप्रैल 2019 के बाद खरीदे या कैश किए गए बॉन्ड की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की थी। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी, जबकि दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल थी। पूरी खबर पढ़ें…