कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार (23 मार्च) को कहा कि पानी की कमी से जूझ रहे राज्य को केंद्र सरकार से फंड नहीं मिल रहा है। केंद्र से नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (NDRF) रिलीज करवाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।
सिद्धारमैया ने कहा कि हम पिछले 5 महीने से फंड का इंतजार कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारी पानी की किल्लत दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट केंद्र को फंड रिलीज करने का निर्देश दें। सुप्रीम कोर्ट में होली के चलते एक हफ्ते की छुट्टी है। हमारी याचिका पर अब अगले हफ्ते ही सुनवाई होगी।
हमने राज्य के 236 तालुकों में से 223 तालुकों में सूखा घोषित किया था। हमने इसका चार बार इवेल्यूएशन भी किया। 48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि फसलें बर्बाद हो गईं। हमने केंद्र को फंड के लिए तीन बार ज्ञापन भेजे, लेकिन हमें अब तक एक पैसा भी नहीं मिला।
हम अपने राज्य के ट्रेजरी से 650 करोड़ रुपए सूखे के लिए रिलीज कर चुके हैं। इससे 33.44 लाख किसानों को 2-2 हजार रुपए पहुंचाए गए हैं। हमें और फंड की जरूरत है, इसलिए केंद्र से मांग कर रहे हैं।
सिद्धारमैया बोले- शाह से भी मुलाकात की, लेकिन समाधान नहीं निकला
सिद्धारमैया ने कहा- पिछले साल अक्टूबर में एक केंद्र सरकार की एक टीम ने राज्य में आकर निरीक्षण किया था। उन्होंने केंद्र को सूखे को लेकर एक रिपोर्ट भी सौंपी। इसके एक महीने के अंदर ही केंद्र को राज्य के लिए फंड रिलीज करने का आदेश देना था।
केंद्र ने जब हमारी मांग नहीं मानी तो मैं और रेवेन्यू मिनिस्टर कृष्णबायरे गौड़ा दिल्ली गए थे, लेकिन हमसे किसी केंद्रीय मंत्री ने मुलाकात नहीं की। इसके बाद 20 दिसंबर को मैं और कृष्णाबायरे गौड़ा फिर दिल्ली गए और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। हमने उनसे फंड रिलीज करने की रिक्वेस्ट की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
कर्नाटक में 196 तालुकों में जल संकट गंभीर
देश के IT हब बेंगलुरु के 40% बोरवेल सूख चुके हैं। ग्राउंड वाटर 1800 फीट से नीचे चला गया है। पानी के टैंकर्स के दाम दोगुने हो गए हैं, वो भी बड़ी मिन्नतों के बाद मिल पा रहे हैं। कर्नाटक सरकार ने 240 तालुकों में से 223 को सूखा घोषित किया है। इनमें से 196 को गंभीर रूप से सूखा प्रभावित बताया गया है।
राज्य के जल संसाधन मंत्री शिवकुमार ने बताया कि हालात पर कंट्रोल करने के लिए पानी की आपूर्ति टैंकरों से की जा रही है। प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि पानी की बर्बादी न हो। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका और बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड इस संबंध में सभी प्रयास कर रहे हैं।
शिवकुमार बोले- पिछले तीन-चार दशकों में इतना गंभीर सूखा नहीं देखा
कर्नाटक के डिप्टी CM शिवकुमार ने 11 मार्च को कहा था कि राज्य ने पिछले तीन-चार दशकों में इतना गंभीर सूखा नहीं देखा है, और अगले दो महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हालात उतने भी खराब नहीं हैं, जितने विपक्ष दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होगा।
दरअसल, सरकार पर कृष्णराज सागर बांध से कावेरी का पानी छोड़े जाने के आरोप लग रहे हैं। इसके जवाब में ही शिवकुमार ने कहा था कि यह पानी बेंगलुरु के लिए है, पड़ोसी राज्य के लिए नहीं। पूरी खबर पढ़ें…
बेंगलुरु में गंभीर जल संकट
देश में तीसरी सबसे अधिक आबादी वाले शहर बेंगलुरु में भी जल संकट गहरा गया है। इस कारण यहां रहने वाले करीब 1.4 करोड़ लोगों में से एक वर्ग वैकल्पिक समाधान तलाशने के लिए मजबूर है। कई लोग शहर से पलायन करने लगे हैं। दूसरी ओर जो लोग घर खरीदना चाहते थे, वे अपना मन बदलने लगे हैं।
इसके अलावा संस्थाओं, हाउसिंग सोसाइटी, कंपनियों और लोगों ने भी संकट के हिसाब से ढलने और पानी बचाने के उपायों पर काम शुरू कर दिया है। लोग नलों पर पानी बचाने वाले उपकरण लगाने से लेकर हाथ और बर्तन धोने के लिए कैन का इस्तेमाल कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…