जम्मू कश्मीर की पूर्व CM और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि BJP कश्मीर के लिथियम भंडार उन कंपनियों को तोहफे में देगी, जो बाद में इससे होने वाली अवैध आय का एक हिस्सा उनकी पार्टी को डोनेट करेंगी। महबूबा ने X पर उन मीडिया रिपोर्ट पर पोस्ट किया, जिनमें कहा गया है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में लिथियम ब्लॉकों की फिर से नीलामी करेगी।
लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल (अलौह धातु) है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) समेत अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। यह एक रेअर अर्थ एलिमेंट है। फरवरी 2023 में जम्मू के रियासी में 59 लाख (5.9 मिलियन) टन लिथियम और सोने के 5 ब्लॉक मिले हैं।
पोस्ट में दावा- BJP और कंपनियों की सांठगांठ उजागर हो गई
महबूबा ने लिखा है- अब जब भाजपा और पूंजीपतियों के बीच सांठ-गांठ उजागर हो गई है। यह साबित हो चुका है कि भारत सरकार लद्दाखियों की वैध मांगों को क्यों नजरअंदाज कर रही है। कमजोर हो चुके सोनम वांगचुक की हालत ने भी सरकार में जरा भी सहानुभूति या चिंता पैदा नहीं की है। अब जम्मू-कश्मीर के लिथियम भंडार को भी लूटा जा रहा है और संदिग्ध कंपनियों को तोहफे में दिया जा रहा है, जो बाद में इस अवैध आय का एक हिस्सा सत्तारूढ़ दल को पार्टी फंड के रूप में दान करेंगे।
14 मई तक खुली है लीथियम भंडार की नीलामी
भारत सरकार तीसरी किश्त के हिस्से के रूप में जम्मू और कश्मीर में अपने लिथियम भंडार की फिर से नीलामी करेगी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक नीलामी दोबारा होगी क्योंकि सरकार को पहले दौर में केवल दो बोलियां मिली थीं। सरकार ने एक बयान में कहा था- तीसरी किश्त में समग्र लाइसेंस के रूप में कुल 7 खनिज ब्लॉकों को नीलामी के लिए रखा जा रहा है, जिनके लिए बोलियां जमा करने की आखिरी तारीख 14 मई है।
2023 में हुआ था लीथियम भंडार का खुलासा
जम्मू कश्मीर में फरवरी 2023 में देश में पहली बार लिथियम का भंडार मिला था। इसकी कैपेसिटी 59 लाख (5.9 मिलियन) टन है। लिथियम के साथ ही सोने के 5 ब्लॉक भी मिले। लिथियम (G3) की यह पहली साइट है, जिसकी पहचान जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने जम्मू-कश्मीर के रियासी में की।
लिथियम के लिए भारत अभी पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर
भारत लीथियम के लिए अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है। 2020 से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा। भारत अपनी लिथियम-आयन बैटरियों का करीब 80% हिस्सा चीन से मंगाता है। भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया जैसे लिथियम के धनी देशों की खदानों में हिस्सेदारी खरीदने पर काम कर रहा है।
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