देश में तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर बेंगलुरु 500 साल के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है। पानी की किल्लत को कम करने के लिए बेंगलुरु वॉटर सप्लाई बोर्ड ने पानी के दुरुपयोग करने वाले 22 परिवारों पर 5-5 हजार का जुर्माना लगाया है। वे पीने के पानी का इस्तेमाल कार वॉशिंग और गार्डनिंग में कर रहे थे।
दरअसल, बोर्ड ने पीने लायक पानी का इस्तेमाल कार धोने, कपड़े धोने या पौधों में डालने पर 2 हफ्ते पहले प्रतिबंध लगाया था। इसे लेकर बोर्ड ने एक्शन लेते हुए 22 परिवारों से कुल 1 लाख 10 हजार का फाइन इकट्ठा किया है। सभी 22 परिवार बेंगलुरु के अलग-अलग इलाके के हैं, लेकिन सबसे ज्यादा फाइन (80 हजार) शहर के साउथ रीजन से इकट्ठा किया गया है।
बोर्ड ने होली के लिए भी कावेरी नदी और बोरवेल के पानी का इस्तेमाल न करने की सलाह दी गै। बोर्ड ने कहा कि पूल पार्टी और रेन डांस में पानी का दुरुपयोग होता है। लोगों को इससे बचना चाहिए।
पानी की किल्लत के कारण बेंगलुरु में करीब 1.4 करोड़ लोगों में से एक वर्ग वैकल्पिक समाधान तलाशने के लिए मजबूर है। कई लोग शहर से पलायन करने लगे हैं। दूसरी ओर जो लोग घर खरीदना चाहते थे, वे अपना मन बदलने लगे हैं।
IT कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होम की मांग
सोशल मीडिया पर लोग राज्य के CM सिद्धारमैया से IT कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य करने की गुहार लगा रहे हैं, ताकि शहर में या उसके बाहर घर जाकर इस परेशानी से निजात पा सकें। कोचिंग सेंटर्स और स्कूलों ने बच्चों को स्कूल आने के बजाय घर से ही क्लास लेने की सलाह दी है।
IIM बेंगलुरु पानी के दोबारा इस्तेमाल पर काम कर रहा
एक अन्य तकनीकी विशेषज्ञ दीपक राघव ने बताया कि वह कोलकाता से आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें हर हफ्ते 6,000 लीटर पानी के लिए 1,500 रुपए का भारी भुगतान करना पड़ता है, क्योंकि किराए के घर में ट्यूबवेल सूख गया है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान बेंगलुरु (IIM) ने कहा- IIMB अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के माध्यम से प्रतिदिन ढाई लाख लीटर से अधिक पानी को दोबारा उपयोग लायक बना रहा है। इसका दायरा बढ़ाने के लिए 57 कृत्रिम गड्ढों की खुदाई की गई है। 17 कुएं बन रहे हैं।
चेन्नई में 2019 में आया था संकट, ट्रेन से पानी की ढुलाई
चेन्नई 2019 में ही भीषण जलसंकट से गुजर चुका है। वहां हालात ऐसे हो गए थे कि वॉटर ट्रेन से पानी पहुंचाना पड़ा। दरअसल, देश के छठे सबसे बड़े शहर चेन्नई को पानी की आपूर्ति वहां के चार तालाबों से होती है, जो सूख गए थे। मानसून में देरी के कारण संकट विकराल हो गया। इस कारण सरकार को रोज 1 करोड़ लीटर पानी ट्रेन से मंगाना पड़ा, जिसके लिए 66 करोड़ रुपए खर्च हुए।
हैदराबाद में भी संकट की आहट, टैंकर की मांग 4 गुना
हैदराबाद में भी जल संकट की आहट सुनाई दे रही है। वहां पानी के दो प्राथमिक स्रोत हैं- नागार्जुन सागर जलाशय (कृष्णा नदी) और येल्लमपल्ली जलाशय (गोदावरी नदी)। इन दोनों जलाशयों में जलस्तर खतरनाक रूप से कम है। कई इलाकों में पानी के टैंकरों की मांग अचानक बढ़कर 10 गुना हो गई है। मनीकोंडा इलाके में तो जल संकट के चलते लोगों ने सड़क पर प्रदर्शन किया था।
10 शहरों में इस दशक के आखिर तक जल संकट
हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि साल 2030 तक भारत के करीब 10 शहरों में भारी जल संकट देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में जिन शहरों का नाम शामिल है इसमें- जयपुर, दिल्ली, बेंगलुरु, गुजरात का गांधीनगर, गुरुग्राम, इंदौर, अमृतसर, लुधियाना, हैदराबाद, चेन्नई, गाजियाबाद शामिल हैं।