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जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में एनकाउंटर, 1 जवान शहीद:पाकिस्तानी BAT घुसपैठ करा रहा था, एक आतंकी मारा गया; मेजर समेत 4 जवान घायल

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में एनकाउंटर, 1 जवान शहीद:पाकिस्तानी BAT घुसपैठ करा रहा था, एक आतंकी मारा गया; मेजर समेत 4 जवान घायल

श्रीनगर9 मिनट पहलेलेखक: रऊफ डार
24 जुलाई को भी कुपवाड़ा के कोवुत इलाके में एनकाउंटर के दौरान एक जवान शहीद हुआ था।

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शनिवार सुबह एनकाउंटर में एक जवान शहीद हो गया, जबकि मेजर समेत 4 जवान घायल हैं। मुठभेड़ माछिल सेक्टर के पास जंगल एरिया में हुई। इसमें एक पाकिस्तानी आतंकी के मारे जाने की खबर है।

न्यूज एजेंसी ANI ने रक्षा विभाग के सूत्रों के हवाले से बताया- पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) आतंकियों की घुसपैठ करा रहा था। BAT के साथ SSG कमांडो और पाकिस्तानी सेना के सैनिक आतंकवादी संगठनों के साथ आतंकियों को कश्मीर भेज रहे थे।

सुरक्षाबलों को कुपवाड़ा के कमकारी इलाके में इनकी खबर मिली। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी। हमले के बाद आतंकियों के जंगल में भागने की आशंका है। सुरक्षाबल जंगल में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं।

यह हमला कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के एक दिन बाद हुआ है। 26 जुलाई को पीएम मोदी ने कारगिल से पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था- भारतीय सेना आतंकवाद को कुचल देगी और दुश्मन के मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब देगी।

मैप में देखिए आज चल रहे एनकाउंटर की लोकेशन

3 आतंकियों के स्केच जारी, 5 लाख का इनाम

डोडा पुलिस ने डेसा के ऊपरी इलाकों में घूम रहे तीन आतंकवादियों के स्केच जारी किए हैं। जानकारी देने पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा गया है। डोडा के डेसा में 15 जुलाई को आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के एक कैप्टन और पुलिसकर्मी समेत 5 जवान शहीद हुए थे। इस हमले में ये तीन आतंकवादी शामिल थे।

जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव
जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं।

बीते दिनों जिन 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, उन्होंने पूछताछ में इसके सुराग दिए हैं। यह नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने दो साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।

2020 में जम्मू से सेना हटाकर लद्दाख भेजी गई, यही आतंकियों के लिए मौका बना
2020 तक जम्मू रीजन में काफी सुरक्षा बल तैनात था। हालांकि, गलवान एपिसोड के बाद चीनी आक्रामकता का जवाब देने के लिए यहां की सेना को हटाकर लद्दाख भेज दिया गया। आतंकियों ने भारत के इस कदम को मौके के रूप में भुनाया और अपना आधार कश्मीर से जम्मू में शिफ्ट किया।

यहां इनका पुराना लोकल नेटवर्क पहले से ही था, जिसे एक्टिव करना था। वही हुआ है। जम्मू में आतंकी घटनाएं सांप्रदायिक रंग भी ले सकती हैं। यहां कश्मीर के मुकाबले जनसंख्या घनत्व कम है और सड़क संपर्क सीमित है। बड़ा इलाका पहाड़ी है, इसलिए आतंकियों को यहां मार गिराने में समय लग रहा है।

जम्मू में घुसे आतंकियों में पाकिस्तान के पूर्व और वर्तमान सैनिक भी
सैन्य सूत्रों ने बताया कि रियासी हमले के बाद मारे गए आतंकियों से जो हथियार और सैटेलाइट फोन मिले थे, वो इस बात के सबूत हैं कि नए आतंकियों में पाकिस्तान सेना के पूर्व या वर्तमान सैनिक भी शामिल हैं। इनके हमलों का तरीका पाक सेना के पैरा ट्रूपर डिवीजन जैसा है। सैटेलाइट फोन भी पूरी तरह एंड टू एंड एनक्रेप्टेड हैं।

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