Headlines

थाईलैंड से लेकर चीन तक, कितना अलग है रामायण में राम का किरदार?

रामकथा सिर्फ एक राज्या या एक देश तक सीमित नहीं है. भारत में ही कई भाषाओं में रामकथा पर आधारित किताबें उपलब्ध हैं. इनमें कथा में थोड़ा-बहुत अंतर तो है पर मूलभाव एक ही है. ऐसे ही दुनिया के दूसरे देशों में भी रामकथा पर आधारित पुस्तकें मिलती हैं. आइए जानते हैं कि इन कथाओं में कितना अंतर है.संस्कृत के आदि कवि महर्षि वाल्मीकि ने अपनी रामायण में रामकथा का विस्तार से वर्णन किया है. आज जब अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ ही उसमें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इक्ष्वाकु वंश के राजा रामचंद्र पर आधारित वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक हैं. त्रेतायुग की इस रामायण को इसलिए सबसे ज्यादा प्रामाणिक भी माना जाता है, क्योंकि इसकी रचना राम के समय में ही की गई थी.
अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध है रामायण
केवल संस्कृत में ही रामायण की कथा लिखी गई है या केवल भारत में ही राम का अस्तित्व मिलता है, ऐसा नहीं है. भारत में कई भाषाओं में रामकथा पर आधारित किताबें उपलब्ध हैं. इनमें कथा में थोड़ा-बहुत अंतर तो है पर मूलभाव एक ही है. ऐसे ही दुनिया के दूसरे देशों में भी रामकथा पर आधारित पुस्तकें मिलती हैं. बताया जाता है कि देश-दुनिया में कुल मिलाकर रामायण पर आधारित कम से कम 300 ग्रंथ तो हैं ही. भारत में रामायण पर आधारित जो सबसे प्रसिद्ध ग्रंध है, वह है श्रीरामचरित मानस. इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में की थी. यह भाषा अवध में बोली जाती है, जिसका ज्यादातर हिस्सा राम के राज्य में आता है.
देश में कैसी-कैसी रामकथा और कैसी-कैसी रामायण
भारत में जो अन्य रामकथाएं मिलती हैं, उनमें तमिल में कंबन की रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, असमी भाषा में असमी रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीरी रामायण, बांग्ला भाषा में रामायण पांचाली और मराठी में भावार्थ रामायण आदि शामिल हैं. इनके अलावा आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृतिवास रामायण, मैथिल रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, सर्वार्थ रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् और श्रीराघवेंद्रचरितम् जैसे ग्रंथ मिलते हैं.
इनमें से रामचरित मानस, वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण, अद्भुत रामायण, आनंद रामायण और अध्यात्म रामायण की चर्चा सबसे ज्यादा होती है. इन किताबों को पढ़ने से रामकथा से जुड़ी कई नई जानकारियों भी मिलती हैं. इनके अलावा पुराणों में भी रामकथा का वर्णन मिलता है. लेकिन यह इतिहास मिथक के रूप में है और ये सिलसिलेवार ढंग से नहीं है.
ऋग्वेद में भी मिलता है राम-सीता का नाम
आमतौर पर यह माना जाता है कि रामकथा पर सबसे पहला ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि की रामायण ही है. हालांकि राम नाम का उल्लेख ऋग्वेद में भी एक जगह पर मिलता है. ऋग्वेद में राम नाम के धर्मात्मा और प्रतापी राजा का उल्लेख है पर यहां यह स्पष्ट नहीं है कि ये रामायण वाले अयोध्या के राम ही हैं. ऋग्वेद में सीता का भी उल्लेख मिलता है और उनको कृषि की देवी बताया गया है. काठक ग्राह्यसूत्र में अच्छी खेती के लिए यज्ञ का तरीका बताया गया है, इसमें भी सीता का उल्लेख है.

संस्कृत और उड़िया में सबसे ज्यादा ग्रंथ
वैसे तो भारत में लगभग हर भाषा में रामकथा पाई जाती है, लेकिन इस बात की संभावना ज्यादा है कि संस्कृत और उड़िया भाषा में सबसे ज्यादा रामकथाएं हैं. वाल्मीकि रामायण, वशिष्ठ, कालीदास और अगस्त्य जैसे ऋषियों और कवियों को मिलाकर संस्कृत में लगभग 17 ग्रंथ ऐसे हैं, जिनमें रामकथा मिलती है. उड़िया में 14 रामकथाएं मिलती हैं. इन सभी में मूल रूप से वाल्मीकि रामायण की कथा से प्रेरणा दिखती है.

महाभारत में भी मिलती है राम की कथा
महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना की थी, जिसमें कृष्ण और कौरव-पांडवों की कथा है पर इसमें रामकथा भी मिलती है. आरण्यकपर्व यानी वन पर्व में रामोपाख्यान के रूप में रामकथा का वर्णन मिलता है. द्रोण पर्व और शांति पर्व भी रामकथा से जुड़े हुए हैं. बौद्ध साहित्य में रामकथा से जुड़े दशरथ जातक, अनामक जातक और दशरथ कथानक नाम जातक कथाएं मिलती हैं. ये रामायण से थोड़ा अलग जरूर हैं पर इन ग्रंथों में भी रामकथा का वर्णन है. जैन साहित्य में रामकथा पर अलग-अलग कई ग्रंथ हैं और उनकी भाषाएं भी अलग हैं. इनमें विमलसूरि की प्राकृत भाषा की रचना पउमचरियं, आचार्य रविषेण की संस्कृत भाषा की रचना पद्मपुराण, स्वयंभू की अपभ्रंश की रचना पउमचरिउ के साथ ही रामचंद्र चरित्र पुराण आदि भी मिलते हैं. हालांकि, जैन परंपरा में राम का मूल नाम पद्म बताया गया है.

दुनिया भर में फैली रामकथा
दुनिया के दूसरे देशों की बात करें तो भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका ही नहीं, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बाली, जावा, सुमात्रा से लेकर थाईलैंड तक रामकथा फैली हुई है. कई देशों में यह लोक संस्कृति का हिस्सा है तो कई जगह ग्रंथों, शिलालेख, भित्तिचित्र, सिक्कों आदि में इसका जिक्र मिलता है. किताबों की बात करें तो श्रीलंका में प्रचलित जानकी हरण ग्रंथ सबसे प्रमुख है. कहा जाता है कि इसके रचनाकार कुमार दास महाकवि कालीदास के दोस्त थे और 512 से 521 ईस्वी के बीच लंका के राजा भी थे. हालांकि श्रीलंका में इससे भी पहले से रामकथा का अस्तित्व मिलता है. सिंहली भाषा में 700 ईसा पूर्व से ही वहां मलेराज की कथा का अस्तित्व मिलता है, जो रामकथा पर ही आधारित है.थाईलैंड की रामकियेन, नेपाल में भानुभक्त की रामायण, कंपूचिया में रिआमकेर रामायण, लाओस में फ्रलक फ्रलाम नाम से रामकथा पर आधारिक ग्रंथ मिलते हैं. ऐसा माना जाता है कि प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ब्रह्मादेश बर्मा को ही कहा गया. वहीं राम की कथा पर आधारित सबसे पुरानी रचना है रामवत्थु. फिलीपींस में भी रामकथा पर आधारित एक ग्रंथ की खोज हुई है, जिसका नाम है मसलादिया लाबन. जावा में रामायण काकावीन नाम से कावी भाषा में रचना मिलती है. मलेशिया में मलय रामायण और रामकथा पर आधारित हिकायत सेरीराम नाम के ग्रंथ पाए जाते हैं. रामायण काल में मलेशिया पर रावण के नाना का शासन था. इसलिए हिकायत सेरीराम की शुरुआत रावण के जन्म की कथा से होता है.चीन में भी रामायण की कथा मिलती है पर वहां रामायण के पात्रों के नाम अलग-अलग हैं. चीनी रामायण के रूप में वहां अनामकं जातकम् और दशरथ कथानम् के नाम से दो ग्रंथ मिलते हैं. इनके अनुसार दशरथ जंबू द्वीप के राजा थे. फादिर कामिल बुल्के का शोध ग्रंथ भी इसी विषय पर आधारित है. उन्होंने बताया था कि अनामकं जातकम् का रचनात्मक रूप बताता है कि यह रामायण पर आधारित है. हालांकि, राम चरित्र पर आधारित इस ग्रंथ में वे घटनाएं शामिल नहीं हैं, जिनमें लड़ाई आदि का जिक्र है. हां तक राम के किरदार का मामला है, वह अद्भुत है. राम अकेले नायक हैं, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है. वे पुत्र, पिता, पति, भाई, राजा, राजकुमार, योद्धा के रूप में आदर्श के रूप में ही स्थापित हैं. इसी रूप में उन्हें देखा-सुना जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024