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ममता बोलीं- कोई लोकतंत्र को खतरनाक कहे, ये मंजूर नहीं:ये देखना होगा कि देश लोकतांत्रिक व्यवस्था से हटकर तानाशाही की तरफ न जाए

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर कोई कहेगा कि सेक्युलरिज्म यानी धर्मनिरपेक्षता खराब है या लोकतंत्र खतरनाक है, तो वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगीं​​​​​​। उन्होंने कहा कि देश में संघीय ढांचा गिरा दिया गया है। कई राज्यों को GST में उनकी हिस्सेदारी नहीं मिल रही है। ममता शनिवार (17 फरवरी) को द टेलीग्राफ के नेशनल डिबेट 2024 में बोल रही थीं।

उन्होंने आगे कहा- अगर कोई ये कहे कि धर्मनिरपेक्षता खराब है, बराबरी अकल्पनीय है, लोकतंत्र खतरनाक है और संघीय ढांचा कोई आपदा है, तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। अगर कोई कहता है कि संविधान को बदलने की जरूरत है, तो ये किसी खास विचारधारा या किसी नजरिए को खुश करने के लिए ही हो सकता है।

ममता ने सवाल उठाया कि क्या भारत लोकतांत्रिक चुनाव से हटकर तानाशाही की तरफ जा रहा है। उन्होंने कहा- संविधान की आत्मा उसकी प्रस्तावना है। देश का संविधान बहुत सावधानी से तैयार किया गया था और इसमें लोकतंत्र, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता का ख्याल रखा गया था। इसकी रक्षा करना जरूरी है।

वहीं, बंगाल CM ने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है, लेकिन ऐसा अच्छा पीएम आज तक नहीं देखा है।

अपने फायदे के लिए संविधान चलाना हमें मंजूर नहीं- ममता
उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकारों में और देश की संप्रुभता के बीच बारीक सा फर्क है, जिसे नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। अगर कोई एक एजेंसी संविधान को अपने ही फायदे के लिए चलाएगी तो ये हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे। संविधान तो लोगों का, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए होता है। ममता ने आगे कहा- मेरे पास बोलने का कोई अधिकार नहीं है, अगर मैंने मजबूती के साथ कुछ भी कहा तो कल ED मेरे घर आ जाएगी।

बंगाल CM बोली- हम शांति से जीना चाहते हैं, सबको इसका अधिकार
ममता ने कहा- संविधान ने इस विशाल देश के लोगों को संस्कृति, भाषा, धर्म और संप्रदाय के फर्क के बावजूद जोड़ने का काम किया है। ये लोगों को आपस में बांधता है। जब देश को जरूरत पड़ी है तो संविधान में संशोधन भी हुए हैं, लेकिन आजकल जो हो रहा है, उसे देखकर मुझे डर लगता है।

ममता ने कहा- ये बहुत ही गलत चीज हो रही है। एक इंसान, एक आम व्यक्ति के तौर पर मैं उसे स्वीकार नहीं कर सकती हूं। अगर कोई हमें ये तक बताएगा कि हमें क्या खाना है, क्या पहनना या किस भाषा में बात करनी है, तो संविधान और लोकतंत्र की जरूरत ही क्या है। हम शांति से जीना चाहते हैं और सबको ये अधिकार मिलना चाहिए।

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