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सिद्धारमैया बोले- मोदी सरकार ने वादे पूरे नहीं किए:कहा- कांग्रेस के गारंटी शब्द का इस्तेमाल अब प्रधानमंत्री कर रहे हैं

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मोदी सरकार पर लोगों से किए गए वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए लोगों से पूछा, ‘क्या लोगों को राहत देने के लिए केंद्र द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम की गई हैं और क्या विदेशों में जमा काला धन वापस लाया गया है। क्या किसी को अच्छे दिन का एहसास हुआ?’

सिद्धारमैया 17 फरवरी को मैंगलोर में आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कहा कि हमारी सरकार ने देश को विकास का कर्नाटक मॉडल दिया है।कांग्रेस ने जिस गारंटी शब्द को प्रचलित किया था, उस गारंटी शब्द का इस्तेमाल अब प्रधानमंत्री कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने पिछले आठ महीनों में पांच गारंटी पूरी की हैं। जिस दिन से हमने शपथ ली, उसी दिन से हमने अपने वादे पूरे करना शुरू कर दिया। हमारी पहली गारंटी से महिलाओं ने मुफ्त में बस में यात्रा की है। इसी तरह अन्नभाग्य, गृह ज्योति और गृह लक्ष्मी योजनाओं में करोड़ों महिलाओं को हर महीने गारंटी का लाभ मिल रहा है।

सिद्धारमैया ने 7 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

सिद्धारमैया ने दिल्ली में किया था प्रदर्शन
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 7 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उनका आरोप था कि केंद्र सरकार हमें न तो टैक्स का हिस्सा दे रही है और न ही आर्थिक मदद। इस प्रदर्शन को चलो दिल्ली नाम दिया गया था।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि हम 100 रुपए केंद्र सरकार को भेज रहे हैं, लेकिन 12-13 रुपए ही वापस मिल रहे हैं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा था कि हमें अपना हक चाहिए। जो नीतियां गुजरात के लिए बनाई जा रही हैं, हमारे लिए भी वही होनी चाहिए।

कर्नाटक के अलावा केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना भी केंद्र सरकार पर फंड्स के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगा चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें

CAG: कर्नाटक सरकार ने पुराने कर्ज की वसूली नहीं की, रिपोर्ट में 10 हजार करोड़ रुपए की बात

कर्नाटक सरकार ने विभिन्न संस्थाओं को दिए गए 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक के पुराने कर्ज की वसूली नहीं की है। मंगलवार (13 फरवरी) को CAG की 2022-23 फाइनेंस रिपोर्ट में विधानसभा में पेश की गई, जिसमें इसका खुलासा हुआ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज के कुछ मामले साल 1977 से पेंडिंग हैं। 21 संस्थाओं पर 15856 करोड़ रुपए का बकाया है, जिसमें 9380 करोड़ रुपए का मूलधन भी शामिल है। सबसे पुराना बकाया 1977 का है, जो बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवेज बोर्ड (BWSSB) और कर्नाटक राज्य बीज निगम लिमिटेड को दिया गया है। पूरी खबर पढ़ें

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