सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगाई है। शनिवार (17 फरवरी) को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगा।
दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को लोकसभा चुनाव के साथ राज्यों के विधानसभा चुनावों, मतदान केंद्रों और मतदान के दौरान उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने देश की जनता से अपील की है कि सभी को लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेना चाहिए।
राजीव कुमार ने कहा- सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में आयोग ने कहा कि वह पारदर्शिता के पक्ष में है। जब आदेश जारी होगा तो वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाई
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई। SC ने कहा है कि ये स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
SC ने इलेक्शन कमीशन से 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की जानकारी पब्लिश करने के लिए कहा है। इस दिन पता चलेगा कि किस पार्टी को किसने, कितना चंदा दिया। यह फैसला 5 जजों ने सर्वसम्मति से सुनाया है।
चीफ जस्टिस ने कहा था कि पॉलिटिकल प्रोसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं। वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है।
2018 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला। 6 साल में चुनावी बॉन्ड से भाजपा को 6337 करोड़ की चुनावी फंडिंग हुई। कांग्रेस को 1108 करोड़ चुनावी चंदा मिला।
2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा।