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कर्नाटक गवर्नर ने मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला बिल लौटाया:सरकार से स्पष्टीकरण मांगा, मंदिर की कमाई पर हुआ था विवाद

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती संशोधन बिल 2024 पर साइन करने से मना कर दिया है। उन्होंने राज्य की सिद्धरमैया सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए बिल वापस लौटा दिया है।

दरअसल, 29 फरवरी 2024 को कर्नाटक में हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती संशोधन बिल 2024 पास हुआ था। इसके तहत राज्य के किसी मंदिर की कमाई यदि 1 करोड़ रुपए है, तो उसे 10% और 1 करोड़ से कम और 10 लाख से अधिक है तो 5% टैक्स का प्रावधान किया गया है।

बिल को विधान परिषद में विरोध का सामना करना पड़ा था। BJP इस बिल और कांग्रेस सरकार को हिंदू विरोधी बता रही है। उसका आरोप है कि सरकार बिल के जरिए दूसरे धर्मों को फायदा पहुंचा रही है। सरकार के पास पैसा नहीं है, इसलिए वो मंदिरों को कमाई का जरिया बना रही है। वहीं, कांग्रेस सरकार का दावा है कि टैक्स की रकम मंदिर के रखरखाव और पुजारियों पर खर्च की जाएगी।

क्या हैं बिल के प्रावधान, जिन पर विवाद हुआ
कर्नाटक में 3 हजार सी-ग्रेड मंदिर हैं, जिनकी कमाई पांच लाख से कम है। यहां से धर्मिका परिषद को कोई पैसा नहीं मिलता है। धर्मिका परिषद तीर्थयात्रियों के लाभ के लिए मंदिर प्रबंधन में सुधार करने वाली एक समिति है। 5 लाख से 25 लाख के बीच आय वाले बी-ग्रेड मंदिर हैं, जहां से आय का 5% साल 2003 से धर्मिका परिषद को जा रहा है। धर्मिका परिषद को 2003 से उन मंदिरों से 10% राजस्व मिल रहा था जिनकी सकल आय 25 लाख से ज्यादा थी।

कर्नाटक में 50 हजार पुजारी, टैक्स का पैसा इनके लिए इस्तेमाल होगा- रेड्‌डी
कर्नाटक के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि यह प्रावधान नया नहीं है बल्कि 2003 से अस्तित्व में है। राज्य में 50 हजार पुजारी हैं जिनकी सरकार मदद करना चाहती है। अगर पैसा धर्मिका परिषद तक पहुंच जाता है तो हम उन्हें बीमा कवर दे सकते हैं। अगर उनके साथ कुछ होता है तो उनके परिवारों को कम से कम 5 लाख रुपए मिलें।

रेड्‌डी ने बताया कि प्रीमियम का भुगतान करने के लिए हमें 7 से 8 करोड़ रुपए की जरूरत है। इसके अलावा सरकार मंदिर के पुजारियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना चाहती है, जिसके लिए सालाना 5 से 6 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।

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कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में मंदिरों पर टैक्स का एक बिल पास किया है। इसके तहत किसी मंदिर की आय 1 करोड़ रुपए है, तो उसे 10% और यदि मंदिर की आय 1 करोड़ से कम और 10 लाख से अधिक है तो उसे 5% टैक्स सरकार को देना होगा। यह बिल कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती बिल 2024 है। इस को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के विरोध में भाजपा समेत कई संत भी उतर आए हैं। हालांकि कांग्रेस ने बिल का बचाव करते हुए कहा है कि राज्य में 40 से 50 हजार पुजारी हैं जिनकी सरकार मदद करना चाहती है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

मंदिरों से टैक्स लेगी कर्नाटक सरकार, भक्त बोले- मंदिर फैक्ट्री नहीं कि उनसे कमाई चाहिए

‘मंदिर कोई मिल या फैक्ट्री नहीं है, जिससे सरकार को इनकम चाहिए। सरकार मंदिरों से टैक्स लेने वाली है। अगर इस पैसे का इस्तेमाल मंदिर के लिए हो तो सही है। लोग कह रहे हैं कि ये पैसा चर्च और मस्जिद को मिलेगा, हमारा पैसा कैसे दूसरे धर्म के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।‘

कर्नाटक में सरकार ज्यादा चढ़ावा पाने वाले मंदिरों से टैक्स लेने की तैयारी में है। बेंगलुरु के मल्लेश्वरम गंगा मां मंदिर के मैनेजर रामचंद्रन इससे खुश नहीं हैं। मंदिर में रोज दर्शन के लिए आने वाले उत्तम कुमार को भी सरकार का फैसला पसंद नहीं आया। उन्हें फिक्र है कि चढ़ावे की रकम से भी सरकार टैक्स ले लेगी तो मंदिर के काम कैसे होंगे। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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