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गिरफ्तारी से पहले तैयार था केजरीवाल का प्लान B:जेल में रहना पड़ा तो वहीं से सरकार चलाएंगे, सीनियर मंत्री को CM के अधिकार देंगे

मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और अब अरविंद केजरीवाल, शराब घोटाले में आम आदमी के तीन बड़े नेता अरेस्ट कर लिए गए। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि दिल्ली की सरकार कैसे चलेगी। क्या केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर रह सकते हैं। पार्टी तो कह रही है कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसा कोई कानून भी नहीं है, जो मुख्यमंत्री को जेल से सरकार चलाने से रोकता हो।

आम आदमी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल को एहसास था कि ED उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। इसीलिए उन्होंने पहले से प्लान बी तैयार कर लिया था। अगर इस्तीफा देने की नौबत आई तो एजुकेशन मिनिस्टर आतिशी दिल्ली की सरकार चलाएंगी। इस पर पार्टी के भीतर एक महीने पहले ही बातचीत हो चुकी है। डिप्टी CM रहे मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद उनके विभाग आतिशी को ही दिए गए थे।

सूत्रों के मुताबिक, अगर केजरीवाल को जेल में ज्यादा समय तक रहना पड़ता है, तब भी आतिशी ही उनकी जगह काम करेंगी। हालांकि, ये तय नहीं है कि केजरीवाल इस्तीफा देकर आतिशी को CM बनाएंगे या फिर केजरीवाल CM रहेंगे और आतिशी एक्टिंग CM का काम करेंगी।

हालांकि, आतिशी कह चुकी हैं कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जरूरत पड़ेगी तो वे जेल से सरकार चलाएंगे।

आतिशी दिल्ली की कालकाजी सीट से विधायक हैं। वे आम आदमी पार्टी बनने के साथ ही उससे जुड़ गई थीं।

जेल से ऐसे चलेगी सरकार

फाइलें जेल में आएंगी, पर साइन के लिए कोर्ट की मंजूरी जरूरी
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी दुबे बताते हैं, ‘जेल मैनुअल के हिसाब से जेल में रहकर CM अपना कामकाज देख सकते हैं। किसी मामले में गिरफ्तारी होने पर जरूरी नहीं कि CM इस्तीफा दें। वे जेल में रहते हुए योजनाओं की फाइल पर साइन करने से लेकर कैबिनेट मीटिंग तक अटेंड कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कोर्ट की परमिशन जरूरी है।’

‘किसी फाइल पर CM के साइन होना हो, तो उसके लिए पहले कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी। कोर्ट को लगता है कि फाइल पर CM के साइन जरूरी हैं, तो उसे जेल प्रशासन को भेजा जाएगा। जेल प्रशासन CM से जुड़ी फाइलों पर साइन कराने के लिए एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करेगा। वही फाइलों को चेक करके CM से साइन कराएगा और फिर उनके ऑफिस के अधिकारी को लौटाएगा।’

जेल में रहकर कैबिनेट मीटिंग कर सकते हैं, तरीका कोर्ट तय करेगा
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विनीत जिंदल बताते हैं, ‘जेल में रहते हुए CM कैबिनेट मीटिंग अटेंड कर सकते हैं। CM ये मीटिंग अपने ऑफिस जाकर दूसरे मंत्रियों के साथ करेंगे या फिर इलेक्ट्रॉनिक मोड से करेंगे, ये कोर्ट तय करेगा।’

‘असल में कोर्ट देखेगा कि मीटिंग किस लेवल पर जरूरी है। क्या उस मीटिंग में बगैर CM के फैसले नहीं लिए जा सकते हैं या मीटिंग में CM का फिजिकली रहना जरूरी है। अगर हां, तो कितने घंटे मौजूद रहना जरूरी है। कोर्ट को जरूरी लगता है तो वो कुछ घंटे के लिए CM को जेल से मीटिंग के लिए बाहर ऑफिस तक जाने की परमिशन दे सकता है।’

जेल में रहते हुए केजरीवाल के पास फैसले लेने के विकल्प
CM जेल में ही रहें और सरकार भी चलती रहे, क्या ऐसा कोई विकल्प हो सकता है? इस पर एडवोकेट विनीत जिंदल बताते हैं, ‘ये हो सकता है क्योंकि जेल में रहते हुए CM अगर खुद सभी फाइलों पर साइन करें या फिर कैबिनेट मीटिंग लें, तो वो काफी लंबा काम हो जाता है। CM से जनता के हित में फैसले लेने और कम से कम समय में बेहतर काम की उम्मीद की जाती है।’

‘जेल में रहते हुए फैसले लेने में काफी देरी होती है। ऐसे में ये विकल्प भी है कि CM अपने किसी सीनियर मंत्री को CM डेजिग्नेट कर सकते हैं। CM के जेल में रहते हुए डेजिग्नेटेड मंत्री उनकी जगह फैसले ले सकते हैं।’

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि जेल जाने पर मुख्यमंत्री या मंत्री को इस्तीफा देना पड़े। ये मैटर बहुत पेचीदा है। इसके भीतर बहुत सी लेयर हैं। इसलिए हां या ना में कुछ नहीं कहा जा सकता।

अगर सवाल ये है कि अरविंद केजरीवाल को CM रहते गिरफ्तार किया जा सकता है, तो जवाब है हां। देश में सिर्फ राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही क्रिमिनल मैटर में गिरफ्तारी से छूट है। दूसरा सवाल क्या वे जेल में रहकर CM बने रह सकते हैं तो हां, उनके मुख्यमंत्री बने रहने पर कोई कानूनी बंदिश नहीं है।

अगर उन्हें दो साल की सजा होती है तो भी केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। इससे ज्यादा होने पर अयोग्य घोषित किए जाएंगे। उसके बाद वे पद से हटेंगे। इसमें भी 6 महीने का समय लगेगा। अयोग्य घोषित होने के लिए लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के तहत ये नियम है।

आर्टिकल- 361 के तहत CM को सिविल केस में गिरफ्तारी से छूट
संविधान के आर्टिकल-361 के तहत मुख्यमंत्री को सिविल केस में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली है। हालांकि, क्रिमिनल केस में मुख्यमंत्री को अरेस्ट किया जा सकता है। केजरीवाल को ED ने अरेस्ट किया है।

अगर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है, तो कोर्ट ही तय करेगा कि केजरीवाल CM बने रह सकते हैं या नहीं। संविधान में इसे लेकर कोई नियम नहीं है। हालांकि, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल से सरकार चलाई हो।

AAP की अपील पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ ही AAP ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर दी थी। उन्होंने रात में सुनवाई की अपील की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपील नहीं मानी। अब 22 मार्च, यानी आज सुनवाई होगी। इसमें अगर सुप्रीम कोर्ट गिरफ्तारी पर रोक लगा देती है, तो केजरीवाल को बड़ी राहत मिल जाएगी। अगर रोक नहीं लगती है तो फिर पार्टी जेल में कैबिनेट मीटिंग की अर्जी भी दे सकती है।

9 समन का जवाब नहीं दिया, इसलिए ED ने किया अरेस्ट
2 नवंबर, 2023 से 21 मार्च, 2024 के बीच ED ने अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए 9 समन भेजे थे। केजरीवाल एक बार भी ED के सामने पेश नहीं हुए। 9वां समन मिलते ही वे इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गए।

उन्होंने याचिका लगाई कि अगर वे पूछताछ के लिए ED के सामने पेश होते हैं तो उन्हें गिरफ्तार न किया जाए। हालांकि, हाईकोर्ट से केजरीवाल को ये छूट नहीं दी। इसके बाद ED के एडिशनल डायरेक्टर के नेतृत्व में 10 मेंबर की एक टीम अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची और तलाशी ली। दो घंटे बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया।

21 मार्च को ही केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों हुई
एडवोकेट विनीत जिंदल बताते हैं कि CM अरविंद केजरीवाल को 9 बार ED ने समन जारी किया था। उन्होंने एक भी समन का जवाब नहीं दिया। 21 मार्च को गिरफ्तारी पर रोक लगाने का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो दो जजों ने करीब 20 मिनट तक मामले को देखा।

ED की तरफ से दिए गए सभी समन की गंभीरता और CM अरविंद केजरीवाल की तरफ से की उनकी अनदेखी को भी समझा। उसके बाद ही हाईकोर्ट ने केजरीवाल को राहत देने से इनकार कर दिया।

ऐसे में ED के सामने ये साफ हो गया कि जिन सबूतों के आधार पर उन्होंने अरविंद केजरीवाल को समन भेजा है, वो गिरफ्तारी के लिए काफी हैं। इसीलिए अगली तारीख का इंतजार किए बिना ही अरविंद केजरीवाल से पूछताछ शुरू की गई और फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

केजरीवाल की अरेस्टिंग की कहानी

CM ऑफिस के बाद दोपहर 4 बजे जुटे RAF के जवान
21 मार्च को दोपहर के करीब 4 बजे थे। CM ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी ड्यूटी खत्म करके घर लौटने की तैयारी में थे। तब तक रैपिड एक्शन फोर्स के जवान आसपास जुटने लगे। कर्मचारियों को एहसास नहीं था कि CM की गिरफ्तारी होने वाली है।

जिस वक्त ED की टीम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ कर रही थी, उनके घर के बाहर RAF के जवान तैनात रहे।

CM ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक, शाम होते-होते दिल्ली सचिवालय में हलचल बढ़ने लगी। फोर्स के अफसर किसी बड़ी घटना के बारे में बात कर रहे थे। उनकी बातें सुनकर सचिवालय के स्टाफ को लगा कि हो सकता है CM को धमकी मिली हो। इसी वजह से सिक्योरिटी के इंतजाम करने पर बात हो रही है।

स्टाफ घर चला गया, तब CM ऑफिस से उनके घर तक का घटनाक्रम तेजी से बदला। ED अधिकारियों की घेराबंदी बढ़ने लगी। इसके बाद न्यूज आई कि ED ने केजरीवाल को शराब घोटाले में अरेस्ट कर लिया है।

शराब घोटाले में अब तक 16 लोग अरेस्ट, इनमें पूर्व CM की बेटी भी
ED और CBI के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने लिकर पॉलिसी में बदलाव कर अपने पसंदीदा डीलर्स को लाइसेंस दिए। बदले में उनसे रिश्वत ली गई। हालांकि, आम आदमी पार्टी इन आरोपों को गलत बताती है। ED इस मामले में अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

ED ने शराब घोटाले में अब तक कुल 6 चार्जशीट दायर की हैं। साथ ही 128 करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी जब्त की है। शराब घोटाले में ही ED ने तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को अरेस्ट किया है। ये गिरफ्तारी हैदराबाद में उनके घर से की गई। कविता 23 मार्च तक हिरासत में हैं।

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