ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के आंगन से देशभर में होली की शुरुआत हो चुकी है। भस्म आरती में महाकाल के साथ फूलों की होली खेली गई। आज महाकाल का भांग, सूखे मेवों, चंदन, आभूषण और फूलों से राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। पंडे – पुजारियों ने गर्भगृह में मौजूद श्रद्धालुओं पर भी पुष्प वर्षा की।
आज संध्या कालीन आरती (शाम 6.30 बजे) के बाद मंदिर प्रांगण में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होलिका दहन किया जाएगा। इसके पहले नैवेद्य कक्ष में भगवान को हर्बल गुलाल अर्पित किया जाएगा। कोटितीर्थ कुंड परिसर स्थित कोटेश्वर महादेव को रंग लगाया जाएगा, फिर गर्भगृह में हर्बल गुलाल और अबीर अर्पित किए जाएंगे।
25 मार्च को धुलेंडी मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 4 बजे भस्म आरती में सबसे पहले महाकाल को रंग – गुलाल लगाया जाएगा। 26 मार्च से महाकाल की प्रतिदिन होने वाली आरती का समय भी बदल जाएगा।
रात 11.13 के बाद होलिका पूजन, सुबह 9.57 से रहेगी भद्रा
रविवार को सुबह 9.57 से रात 11.13 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के बाद होलिका का पूजन और दहन करना शुभ रहेगा। भद्रा रहित होलिका दहन करने की शास्त्र आज्ञा देता है। अतः रात 11.13 बजे के बाद ही होलिका का पूजन करें। पं. चंदन श्यामनारायण व्यास ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च रविवार को रहेगी।
पूर्णिमा तिथि रविवार सुबह 9.57 से प्रारंभ होगी, जो 25 मार्च सोमवार को दोपहर 12.30 तक रहेगी। 25 मार्च को धुलेंडी रहेगी। होलिका का पूजन रविवार को करना शुभ है। इसी प्रकार आगामी व्रत पर्व निर्णय 30 मार्च को रंगपंचमी, 1 अप्रैल श्री शीतला सप्तमी, 4 अप्रैल दशामाता, 6 अप्रैल शनि प्रदोष, 8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या रहेगी।
भद्रा का महाकाल पर कोई असर नहीं
इस बार होलिका दहन की रात को भद्रा काल लगने के कारण होलिका दहन के समय को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लेकिन, कालों के काल महाकाल के मंदिर में भद्रा के साए का असर नहीं होगा। होलिका का दहन अपने समय अनुसार होगा। महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा बताते हैं कि महाकाल वे हैं, जिन पर दिन, रात, ग्रहण, काल, भद्रा, नक्षत्र, शुभ, अशुभ का असर नहीं होता है। भगवान महाकाल के मंदिर में हर त्योहार इसी तरह मनाया जाता है।
ऐसे होती है पूजा
- संध्या आरती में भगवान महाकाल के साथ होली खेलने के बाद मंदिर परिसर में लकड़ी, कंडे की होली पर चंदन की डाली रखी जाती है।
- होलिका का पूजन हार चढ़ाकर किया जाता है। इसमें खास तौर पर महिलाओं को शामिल किया जाता है।
- भगवान विष्णु का ध्यान – पूजन, अग्नि देवता के मंत्र का उच्चारण होता है। धूप के साथ पपड़ी, खाजे के नैवेद्य का भोग लगाया जाता है।