कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भाजपा नेता वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी में शामिल होने के लिए वरुण गांधी का बहुत स्वागत है।
अधीर का यह बयान भाजपा के वरुण गांधी का लोकसभा चुनाव में टिकट काटे जाने के बाद आया है। पीलीभीत से सांसद वरुण को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है।
मंगलवार (26 मार्च) को अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा, ”गांधी परिवार से होने के कारण भाजपा ने वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया। वरुण को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए। अगर वह शामिल होते हैं तो हमें खुशी होगी। वह एक बड़े, सुशिक्षित और साफ छवि के राजनेता हैं। हम चाहते हैं कि वरुण गांधी अब कांग्रेस में शामिल हों।”
टिकट कटने पर वरुण का नहीं आया बयान
पीलीभीत से दो बार के सांसद वरुण गांधी का टिकट कटने पर फिलहाल कोई बयान नहीं आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने अपने करीबियों से कहा है कि उनके साथ छल हुआ है और अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। पीलीभीत में पहले फेज में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। यहां नामांकन की आखिरी डेट 27 मार्च है। यानी वरुण के पास पीलीभीत से चुनाव लड़ने की घोषणा करने के लिए 24 घंटे से भी कम समय है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे वरुण, 10 साल से कोई जिम्मेदारी नहीं
2013 में वरुण गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। इसी साल उन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा का प्रभारी भी बनाया गया था। वह वक्त ऐसा था, जब यूपी की सियासत में भाजपा में वरुण का नाम प्रमुख नेताओं में था। यही नहीं, यूपी के सीएम के लिए भी उनका नाम सियासी गलियारे की चर्चा में आ जाता था।
हालांकि, 2014 में भाजपा की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। इसमें वरुण को जगह नहीं मिली। 10 साल में वरुण को किसी तरह की कोई बड़ी जिम्मेदारी पार्टी में नहीं मिली। इसके पीछे की वजह, उनके सरकार और सिस्टम के खिलाफ दिए गए बयान रहे।
2009 में वरुण का राजनीति में डेब्यू, 2014 में मां-बेटे की सीट बदली
वरुण गांधी ने राजनीतिक डेब्यू 2009 में पीलीभीत से किया। पहले चुनाव में ही उन्होंने 2.81 लाख के अंतर से अपने विरोधी को हराया। इसके बाद 2014 में भाजपा ने मां-बेटे की सीट बदली। यानी, वरुण को सुल्तानपुर और मेनका को पीलीभीत से टिकट दिया। सुल्तानपुर में भी वरुण ने बड़ी जीत हासिल की।
पीलीभीत लोकसभा सीट मेनका और वरुण गांधी का गढ़ मानी जाती है। वहीं, अगर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो पीलीभीत में 5 विधानसभा हैं। इसमें बरखेड़ा, बीसलपुर, पीलीभीत, पूरनपुर, बहेड़ी हैं। यहां 2022 के चुनाव में भाजपा ने 4 विधानसभा में सीट दर्ज की थी। इसमें बहेड़ी में सपा ने जीत दर्ज की थी। ‘
वहीं, 2017 में सभी 5 विधानसभा में भाजपा ने जीत हासिल की थी। वहीं, 2012 विधानसभा में स्थिति अलग थी। तब भाजपा सिर्फ एक बीसलपुर विधानसभा पर जीत हासिल कर पाई थी।
पीलीभीत में 18 लाख मतदाता, इसमें 5 लाख मुस्लिम
पीलीभीत में 18 लाख 20 हजार मतदाता हैं। इसमें करीब 5 लाख मुस्लिम हैं। इसके बाद करीब 3.5 लाख से अधिक लोध किसान हैं। वहीं, करीब 3 लाख कुर्मी हैं। इसके अलावा, ब्राह्मण वोटरों की बात करें तो यह करीब डेढ़ लाख हैं। इसके साथ ही जिले में एक लाख के आसपास सिख समुदाय का वोट बैंक भी है।
पांचवी लिस्ट 111 लोगों के नाम थे, मेनका गांधी का टिकट सुल्तानपुर से बरकरार
भाजपा ने 24 मार्च को लोकसभा उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी की थी। जिसमें उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से मौजूदा सांसद वरुण गांधी को हटा दिया। पार्टी ने उनकी जगह कांग्रेस छोड़कर साल 2021 में भाजपा ज्वाइन करने वाले जितिन प्रसाद को पीलीभीत से मैदान में उतारा है।
111 प्रत्याशियों की इस सूची में हिमाचल प्रदेश के मंडी से कंगना रनोट, यूपी के मेरठ से अरुण गोविल, पुरी से संबित पात्रा को टिकट दिया गया है। झारखंड के दुमका से सीता सोरेन, यूपी के गाजियाबाद से अतुल गर्ग, हरियाणा के कुरुक्षेत्र से नवीन जिंदल को प्रत्याशी बनाया गया है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने संदेशखाली केस की पीड़ित को टिकट दिया है। इसी पीड़ित ने मामले को उठाया था, जिसके बाद शेख शाहजहां के करीबी ने थप्पड़ मारा था। वरुण की मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दिया गया है। बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी की जगह दुर्विजय शाक्य को टिकट दिया गया है।
भाजपा अब तक 402 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर चुकी है। इससे पहले चार लिस्ट में 291 प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। पूरी खबर पढ़ें