सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने मंगलवार (26 मार्च) को 21वें दिन अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी। वे लद्दाख के लोगों की मांगों को लेकर 6 मार्च से अनशन पर थे।
भूख हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम वांगचुक ने कहा- ये आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। कल से महिलाएं भूख हड़ताल करेंगी। अपनी मांगों को लेकर हमें जब तक आंदोलन करना पड़े, हम करेंगे।
सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
वांगचुक बोले- PM मोदी चुनावी वादे पूरे करें
इससे पहले मंगलवार सुबह वांगचुक ने एक वीडियो मैसेज जारी किया था। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने चुनावी वादे पूरे करने की अपील की थी। वांगचुक ने कहा था- PM मोदी भगवान राम के भक्त हैं। उन्हें राम की ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ शिक्षा का पालन करना चाहिए।
आर्टिकल 370 हटने के बाद शुरू हुआ आंदोलन
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना था।
इसके बाद लेह और कारगिल के लोग खुद को राजनीतिक तौर पर बेदखल महसूस करने लगे। उन्होंने केंद्र के खिलाफ आवाज उठाई। बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध-प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।
4 मार्च को केंद्र ने मांगें मानने से इनकार किया था
इस साल की शुरुआत में बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह स्थित एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) के बैनर तले हाथ मिलाया। इसके बाद लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन और भूख हड़ताल होने लगीं।
केंद्र ने मांगों पर विचार करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत सफल नहीं हुई। 4 मार्च को लद्दाख के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और बताया कि केंद्र ने मांगें मानने से इनकार दिया है। इसके दो दिन बाद वांगचुक ने लेह में अनशन शुरू किया था।
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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर 24 फरवरी को केंद्र सरकार के साथ प्रदर्शनकारियों की चौथी बार बैठक हुई। इसमें सरकार ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया। 4 मार्च को लद्दाख के दो प्रमुख संगठन लेह एपेक्स बॉडी यानी ABL और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी KDA के साथ गृह