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राहुल गांधी का नया ठिकाना, बंगला नंबर-5:प्रियंका उनका घर देखने पहुंची; लोकसभा सदस्यता जाने के बाद पुराना घर छोड़ा था नई दिल्ली41 मिनट पहले दिल्ली के सुनहरी बाग रोड स्थित बंगला नंबर 5 में पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री ए. नारायण स्वामी रह रहे थे। लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने बंगला खाली कर दिया। – Dainik Bhaskar दिल्ली के सुनहरी बाग रोड स्थित बंगला नंबर 5 में पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री ए. नारायण स्वामी रह रहे थे। लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने बंगला खाली कर दिया। राहुल गांधी को केंद्र सरकार ने नया बंगला अलॉट किया है। दिल्ली के सुनहरी बाग रोड स्थित बंगला नंबर 5 राहुल का नया आशियाना हो सकता है। 26 जुलाई को राहुल यह बंगला देखने पहुंचे थे। प्रियंका गांधी भी राहुल का यह घर देख चुकी हैं। लोकसभा में विपक्ष का नेता होने के नाते राहुल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। इसलिए उन्हें केंद्र सरकार ने टाइप-8 बंगला ऑफर किया है। इस बंगले में 5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 डायनिंग रूम, स्टडी रूम, 1 सर्वेंट क्वार्टर है। सूत्रों के मुताबिक,राहुल को 3-4 बंगलों के ऑप्शन दिए गए थे। प्रियंका गांधी वाड्रा 26 जुलाई को सुनहरी बाग रोड स्थित बंगला नंबर 5 देखने गई थीं। प्रियंका गांधी वाड्रा 26 जुलाई को सुनहरी बाग रोड स्थित बंगला नंबर 5 देखने गई थीं। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी शुक्रवार को सुनहरी रोड पर बंगला देखने पहुंचे थे। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी शुक्रवार को सुनहरी रोड पर बंगला देखने पहुंचे थे। 2005 में अलॉट हुआ था 12, तुगलक लेन बंगला राहुल गांधी 2004 में पहली बार अमेठी से सांसद बने। तब तक वो अपनी मां के साथ 10 जनपथ स्थित बंगले में रहते थे। सांसद बनने पर 2005 में उन्हें पहली बार 12 तुगलक लेन वाला बंगला अलॉट किया गया था। ये दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित टाइप-8 बंगला है, जो हाइएस्ट कैटेगरी है। इस आलीशान बंगले में 5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 डायनिंग रूम, 1 स्टडी रूम और सर्वेंट क्वार्टर हैं। राहुल गांधी इस बंगले में एक प्राइवेट गृह प्रवेश के बाद शिफ्ट हुए थे। इस सेरेमनी में सोनिया, प्रियंका, रॉबर्ट समेत उनके करीबी लोग ही शामिल थे। इसकी कोई सार्वजनिक तस्वीर मौजूद नहीं है। 22 अप्रैल को 12 तुगलक लेन छोड़ने के बाद अधिकारी को घर की चाबी सौंपते राहुल गांधी। 22 अप्रैल को 12 तुगलक लेन छोड़ने के बाद अधिकारी को घर की चाबी सौंपते राहुल गांधी। मोदी सरनेम केस, जिसमें राहुल की सांसदी गई थी 11 अप्रैल 2019 को राहुल गांधी ने बेंगलुरु के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के दौरान मोदी सरनेम को लेकर एक बयान दिया था। राहुल ने कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है। राहुल का इशारा ललित मोदी, नीरव मोदी की ओर था। ये दोनों भ्रष्टाचार के मामले में देश छोड़कर भाग चुके हैं। राहुल के इस बयान के खिलाफ गुजरात से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई। 23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। 24 मार्च को राहुल की संसद सदस्यता समाप्त कर दी गई। राहुल गांधी ने सेशन कोर्ट के फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल की सजा बरकरार रखते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद राहुल सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी। अगस्त, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद उनकी सदस्यता बहाल हो गई थी। लीडर ऑफ अपोजिशिन होने के नाते राहुल को और क्या-क्या शक्तियां मिली हैं? दिल्ली में बंगला अलॉट करने के नियम-कानून जानिए लोकसभा सदस्यों को दिल्ली में बंगले का आवंटन ‘डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स’ करता है। यह मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के तहत आता है। ‘डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स’ के अंदर भी यह काम जनरल पूल रेसिडेंशियल एकॉमोडेशन यानी GPRA एक्ट के तहत किया जाता है। GPRA में केंद्र सरकार का कोई भी कर्मचारी घर के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन अलॉटमेंट के लिए पे स्केल, ऑफिस और पोजिशन को देखा जाता है और उसी के अनुसार आवास दिए जाते हैं। इन आवासों के लिए सरकार की तरफ से एक मासिक किराया भी तय है। इन घरों के रख-रखाव के लिए सरकार की तरफ से भत्ता भी दिया जाता है।

पुणे पोर्श केस में 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल:नाबालिग आरोपी का नाम नहीं; 7 आरोपियों के खिलाफ 50 गवाहों के बयान

मुंबई7 घंटे पहले
पुणे पोर्श केस में नाबालिग आरोपी के पिता और दादा पर ड्राइवर की किडनैपिंग करने और उस पर एक्सीडेंट की जिम्मेदारी खुद पर लेने का दबाव बनाने का आरोप है।

पुणे पोर्श केस में पुलिस ने करीब दो महीने बाद 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। सेशन कोर्ट में गुरुवार को दाखिल किए गए 900 पेज की चार्जशीट में 17 साल के नाबालिग आरोपी का नाम शामिल नहीं किया गया है। नाबालिग का मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के सामने है।

वहीं, 7 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने और साक्ष्य मिटाने से संबंधित धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है। इनमें नाबालिग के माता-पिता, ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टर और एक कर्मचारी और दो बिचौलिए शामिल हैं।

नाबालिग ने पोर्श कार से बाइक को टक्कर मारी थी, दो लोगों की मौत हुई थी
आरोपी ने 18-19 मई की रात पुणे के कल्याणी नगर इलाके में IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पोर्श स्पोर्ट्स कार चला रहा था।

ये हादसे वाली जगह के पास का CCTV फुटेज है। इसमें तेज रफ्तार पोर्श कार सड़क से गुजरती दिख रही है।

नाबालिग आरोपी को हाईकोर्ट ने जमानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून को नाबालिग को जमानत दे दी थी। तब कोर्ट ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो।हाईकोर्ट के आदेश के बाद किशोर को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया और उसकी हिरासत उसकी मौसी को सौंप दी गई थी।

हाईकोर्ट ने 3 आधार पर नाबालिग को जमानत दी…

1. हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की उम्र 18 साल से कम, उसे ध्यान में रखना जरूरी
आरोपी लड़के की आंटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिहाई की याचिका लगाई थी। इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

जस्टिस भारती डांगरे और मंजुशा देशपांडे ने आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेजने के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया था। बेंच ने यह भी नोट किया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन के जारी किया गया था। एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया। CCL 18 साल से कम उम्र का है, उसकी उम्र को ध्यान में रखना जरूरी है।

2. कोर्ट बोला- नाबालिग आरोपी के साथ बड़े आरोपियों जैसा बर्ताव नहीं कर सकता
कोर्ट ने कहा कि हम कानून और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उद्देश्य से बंधे हुए हैं और हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो। आरोपी रिहैबिलिटेशन में है, जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुख्य उद्देश्य है। वह साइकोलॉजिस्ट की सलाह भी ले रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा।

3. कोर्ट ने कहा था- एक्सीडेंट के बाद से आरोपी भी सदमे में है
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि, ये सही है कि इस एक्सीडेंट में दो लोगों की जान गई, लेकिन ये भी सच है कि नाबालिग बच्चा भी सदमे में है। कोर्ट ने पुलिस से भी पूछा था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने किस नियम के आधार पर अपने बेल ऑर्डर में बदलाव किया था। बेंच ने नोट किया था कि पुलिस ने जुवेनाइल बोर्ड के जमानत के आदेश के खिलाफ किसी ऊपरी अदालत में याचिका दाखिल नहीं की थी।

इसे लेकर कोर्ट ने पूछा कि यह किस तरह की रिमांड है? इस रिमांड के पीछे कौन सी ताकत का इस्तेमाल किया गया है। यह कौन सी प्रक्रिया है जिसमें एक शख्स को बेल मिलने के बाद उसे कस्टडी में भेजने का आदेश दिया जाता है।

नाबालिग को जमानत दे दी गई थी, लेकिन अब उसे ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है। क्या ये बंधक बनाने जैसा नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि आपने किस ताकत का प्रयोग करके यह कदम उठाया है। हमें लगता था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड जिम्मेदारी से काम करेगा।

महाराष्ट्र सरकार ने जुवेनाइल बोर्ड के मेंबर्स को भेजा था नोटिस
16 जून को महाराष्ट्र सरकार ने नाबालिग आरोपी को जमानत देने वाले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो सदस्यों को शो-कॉज नोटिस भेजा था।आरोपी को हादसे के बाद हिरासत में लिया गया था, लेकिन जुवेनाइल बोर्ड ने उसे 15 घंटे बाद ही जमानत दे दी थी। जमानत की शर्तों के तहत उसे सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने, ट्रैफिक पुलिस के साथ कुछ दिन काम करने और 7,500 रुपए के दो बेल बॉन्ड भरने को कहा गया था।

राज्य सरकार ने जुवेनाइल बोर्ड के दो सदस्यों के कामकाज की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया कि दोनों ही सदस्यों के काम करने के तरीके में गड़बड़ियां मिली हैं। इसके बाद महिला व बाल विकास विभाग के कमिश्नर प्रशांत नरणावरे ने दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

पिता-दादा सहित अब तक 11 गिरफ्तार
घटना के पहले नाबालिग आरोपी ने बहुत शराब पी थी। इसकी पुष्टि बार में लगे CCTV से हुई थी, लेकिन ब्लड रिपोर्ट एल्कोहॉल निगेटिव आने पर पुलिस को शक हुआ। पुलिस की जांच में पता चला कि नाबालिग के ब्लड सैंपल को ससून अस्पताल में बदला गया था। आरोपी के ब्लड सैंपल को उसकी मां के सैंपल से बदलने के लिए पिता विशाल अग्रवाल से 50 लाख रुपए की डील हुई थी।

ससून अस्पताल के डॉ. तावरे, डॉ. हलनोर और अस्पताल के एक स्टाफ को 27 मई को गिरफ्तार किया गया। डॉ. हलनोर ने पूछताछ में बताया कि ब्लड सैंपल बदलने के लिए विशाल अग्रवाल और उनके बीच 50 लाख रुपए की डील हुई थी। विशाल अग्रवाल ने डॉ. अजय तावरे से संपर्क किया था। डॉ. तावरे के कहने पर विशाल ने रकम की पहली किस्त के 3 लाख रुपए भी दिए थे।

ससून अस्पताल के दो डॉक्टर, एक स्टाफ के अलावा इस मामले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। नाबालिग के पिता को 21 मई और दादा को 25 मई को गिरफ्तार किया गया था। आरोपी की मां को 1 मई को गिरफ्तार किया गया। जिस पब में नाबालिग में शराब पी थी, उसके मालिक-मैनेजर और स्टाफ भी गिरफ्तार है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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