गैंगरेप मामले में खुद को बचाने के लिए विजय की दलीलें नाकाफी साबित हुईं। अदालत के सामने जो भी सबूत रखे गए, वो माफिया के खिलाफ थे। कोर्ट ने पीड़िता के बयानों को सही ठहराया। सबसे खराब बात ये थी कि विजय ने यह अपराध जन-प्रतिनिधि रहते हुए किया। जन-प्रतिनिधि…जो जनता को हक दिलाए न कि उन्हीं का शोषण करे।
साल 2022 का विधानसभा चुनाव सिर पर था और विजय आगरा की सेंट्रल जेल में। सूबे के बड़े राजनीतिक दलों ने दागी छवि को देखते हुए उसे नकार दिया था। जब किसी भी पार्टी से उसकी दाल नहीं गली, तो उसने प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। ज्ञानपुर सीट से लगातार 4 बार विधायकी जीतने वाले माफिया को अपनी जीत पर पूरा भरोसा था। लेकिन नतीजे विपरीत आ गए।
सिंगर से रेप का केस लगने के बाद भदोही की जनता में विजय के प्रति लगाव कम होता चला गया। इसका असर 2022 विधानसभा चुनाव में दिखा। भदोही की 3 सीटों में से 2 पर भाजपा और उसके सहयोगी दल निषाद पार्टी ने कब्जा जमा लिया। 1 सीट सपा के खाते में गई। ज्ञानपुर सीट से निषाद पार्टी के विपुल दुबे ने 4 बार के विधायक और बाहुबली विजय मिश्रा को हराकर इतिहास रच दिया।
इस हार के साथ विजय का चुनाव जीतने वाला तिलिस्म चकनाचूर हो गया। 3 साल से वह आगरा की जेल में बंद है। सिंगर से रेप मामले में उसे 15 साल तक इन्हीं सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा।
- मैं उत्तर प्रदेश हूं…। OTT सीरीज के चैप्टर विजय मिश्रा की 7वीं कड़ी में पढ़िए, उस फैसले की कहानी जो माफिया के पतन का कारण बनी…